रिश्ते
है
जीवन अनमोल
जिये हर पल
हसीन
बहुमूल्य है
धरा हमारी
है परिपूर्ण
धन धान्य से
करो मत इसका
दोहन
पालो माँ
की तरह इसे
हैं
सबसे कीमती
रिश्ते हमारे
मत तोलो इन्हें
दौलत पैसों से
निभाते हैं
गरीब भी
रिश्तों को
अमीरों का
क्या भरोसा
मोल नहीं है
यादों का
आती जब
सपनों में
बन जाती
वह अनमोल
प्यार
माता पिता का है
अनमोल
हैं जब तलक
साथ वह
मत छोड़ो
दामन उनका
है बेफिक्र
“संतोष”
इस दुनियां में
समझ गया
वह अनमोल
फ़रिश्तों का
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल