#रिश्ते फूलों जैसे
#रिश्ते फूलों जैसे
इत्र बनेगा सूख गए तो, रिश्ते फूलों जैसे रखना।
मीठापन ही रहे दिलों में, प्रेम-सुधा शब्दों में भरना।।
क्रोधाग्नि दूध उफान जैसी, मौन रहो जल तुम बन जाओ।
तूफ़ान उठा रुक जाए जब, शाँत मही पहले सम पाओ।।
झुकना अपनेपन की ख़ातिर, हार नहीं जय कहलाएगा।
आँधी में वृक्ष झुका बच पाये, सीधा रहा उखड़ जाएगा।।
प्रकृति हमें नित बहुत सिखाए, हरपल इसका हम ध्यान करें।
सीखें इससे इसे सजाएँ, सबके जीवन में रंग भरें।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित सृजन