#गीत//
मिलना जुलना हो जाता है ,
शोक ख़ुशी के आने से।
रिश्ते-नाते जी पाते हैं ,
दिल से दिल मिल जाने से।।
रीत बनाई हैं मानव ने ,
मन उर प्रीत जगाने को।
इंसानी फ़र्ज़ निभाने को ,
नाते नये बनाने को।
चाँद गगन में चमकें जैसे ,
सूरज प्रेम दिखाने से।
रिश्ते-नाते जी पाते हैं ,
दिल से दिल मिल जाने से।।
चीज़ बड़ी हर सही कर्म से ,
रूप बड़ा हो या छोटा।
भाव लिए वो कविता मनहर ,
छंद बड़ा हो या छोटा।
ज़ख्म बड़ा भी भर जाता है ,
मरहम सही लगाने से।
रिश्ते-नाते जी पाते हैं ,
दिल से दिल मिल जाने से।।
जोश रहे तन होश रहे मन ,
जीवन उत्सव तब होगा।
प्रेम भाव में शान बढ़ेगी ,
जीवन उत्सव तब होगा।
पीर परायी नीर कहेगी ,
होंगे बड़े हँसाने से।
रिश्ते-नाते जी पाते हैं ,
दिल से दिल मिल जाने से।।
मिलना जुलना हो जाता है ,
शोक ख़ुशी के आने से।
रिश्ते-नाते जी पाते हैं ,
दिल से दिल मिल जाने से।।
#आर.एस.’प्रीतम’
#सर्वाधिकार सुरक्षित गीत