Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2019 · 2 min read

रिश्ते कैसे कैसे

रिश्ते कैसे कैसे*

************************************
देव प्रबोधिनी एकादशी का दिन था। दुल्हन की विदाई का माहौल था।
बारी बारी से केतिका गले मिल रही थी। उसका दुल्हन का श्रृंगार भी छलकते आंसुओं से निकलता जा रहा था।
इकलौती सन्तान थी वो कृष्णानंद जी की।
परन्तु सारा मुहल्ला उसका अपना था।सभी की प्यारी थी वो।पूरा मुहल्ला उसे विदा करने के लिये मुस्तैद खड़ा था। सभी की आंख में उसका स्नेह निर्मल जल बनकर बह रहा था। और बाजे पर पुरानी फिल्मी धुन … खुशी खुशी कर दो विदा…. की स्वर लहरी वातावरण को और बोझिल बना रही थी। सबसे मिलने के बाद कार में बैठते बैठते केतिका सुधबुध खोती वापस अपने आंगन में दौड़ पड़ी। अवाक से कृष्णानंद जी उसे देखते रहे। वो सीधी आंगन में लगे कचनार के पेड़ के पास गई और लिपट कर रोती रही। जैसे कोई संवाद चल रहा हो। कचनार भी गमगीन होकर मध्दिम मध्दिम हिल रहा था।
जैसे कोई केतिका से बोल रहा हो।
*

मेरी बहना साथ रही तू अब ससुराल को जायेगी।
में कचनार यही रहूंगा क्या राखी लेकर आएगी।

इतने दिन तक तुमने पाला पानी पिला2कर के।
अब जाती हो बहना क्यों मुझको रुला2करके।

आज प्यार से मुझको गले लगाकर जा बहना।
तेरी याद में अब मुझको पडा रहेगा यहां रहना।

चिंता मत कर प्यारे भाई याद मुझे भी आएगी।
मेरा भी यह हलक सूखेगा जब भी आंधी आएगी।

पर भैया बाबुल अम्मा को छाँव तुम्हें ही देना है।
कभी कभी लहराकर के याद मुझे कर लेना है।

कैसे भूलूंगी तेरी छैया में इतने दिन साथ रही।
पर नही मिलूँ सपनो में भाई होगी ऐसी रात नही।

तुम से मिलकर मन की बाते सब कह लेती थी।
बदले में मैं सगे भाई को तुममें अनुभव कर लेती थी।
कब मेरा बचपन बीता कब तेरी छांव में हुई बड़ी।
आज छोड़ कर जाऊं कैसी दुविधा यह आन पड़ी।
जब जब हवा चलेगी भैया मुझको याद बहुत आएगी
बस तुझसे मैं मिल न् सकूँगी फरियाद हवा ही लाएगी।
मेरे बिन भैया तुम को बिन पानी भी जीना है।
जब तक मेरी सांसे है तब तक नही मुरझाना है।

मां बाबुल को सौंप रही हूं वचन तुम्हे देना होगा।
इनकी हर पीड़ा को तुझकी ही हरना होगा।

…… और पिताजी ने जैसे ही कंधे पर हाथ रखा।केतिका चीख पड़ी लिपट गई कटी लता की डाली सी। बड़ी मुश्किल से उसे कार में बिठाया। कार जा रही थी ।मुहल्ला सन्न । सब लौटने लगे । रिश्ते सब रिसते जा रहे थे। केतिका अब भी मुड़ मुड़ कर कचनार को देखे जा रही थी………
कलम घिसाई

****** मधुसूदन गौतम******

Language: Hindi
466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नजर और नजरिया
नजर और नजरिया
Dr. Kishan tandon kranti
हिन्दी दोहा- बिषय- कौड़ी
हिन्दी दोहा- बिषय- कौड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कावड़ियों की धूम है,
कावड़ियों की धूम है,
manjula chauhan
जब -जब धड़कन को मिली,
जब -जब धड़कन को मिली,
sushil sarna
सोशल मीडिया पर एक दिन (हास्य-व्यंग्य)
सोशल मीडिया पर एक दिन (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"भावना" इतनी
*Author प्रणय प्रभात*
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
शेखर सिंह
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
“Your work is going to fill a large part of your life, and t
“Your work is going to fill a large part of your life, and t
पूर्वार्थ
विचारों में मतभेद
विचारों में मतभेद
Dr fauzia Naseem shad
"बदलते भारत की तस्वीर"
पंकज कुमार कर्ण
कुंंडलिया-छंद:
कुंंडलिया-छंद:
जगदीश शर्मा सहज
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इत्तिहाद
इत्तिहाद
Shyam Sundar Subramanian
मेरी ख़्वाहिशों में बहुत दम है
मेरी ख़्वाहिशों में बहुत दम है
Mamta Singh Devaa
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
कवि दीपक बवेजा
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अपनों की जीत
अपनों की जीत
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
लोकतंत्र में शक्ति
लोकतंत्र में शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
गीतिका/ग़ज़ल
गीतिका/ग़ज़ल
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
dks.lhp
चुनौतियाँ बहुत आयी है,
चुनौतियाँ बहुत आयी है,
Dr. Man Mohan Krishna
पहला प्यार नहीं बदला...!!
पहला प्यार नहीं बदला...!!
Ravi Betulwala
मजहब
मजहब
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आखों में नमी की कमी नहीं
आखों में नमी की कमी नहीं
goutam shaw
भाषाओं का ज्ञान भले ही न हो,
भाषाओं का ज्ञान भले ही न हो,
Vishal babu (vishu)
फेमस होने के खातिर ही ,
फेमस होने के खातिर ही ,
Rajesh vyas
Loading...