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25 Apr 2024 · 1 min read

“रिश्ता”

“रिश्ता”
सोचता हूँ
संसार में कोई इंसान
स्वयं में कुछ नहीं,
मेरे खुद के होने में भी
दूसरों के प्रेम
और दुआ का हाथ है
मेरा अपना कुछ नहीं।

3 Likes · 3 Comments · 99 Views
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