उलझा रिश्ता
उलझा धागा तो फिर भी सुलझ जाता है
मगर! उलझे रिश्ते कहां सुलझ पाते है
जब पड़ जाए गांठ किसी रिश्ते में तो
वो रिश्ता फिर कहां पहले सा रह पाता है
मानती हूं, रिश्ता छूटता तो नहीं
मगर! वो पुराना वक्त छूट जाता है
वो खुबसुरत पुरानी यादें छूट जाती हैं
और छूट जाता है साथ अपनों का
गर कुछ शेष रह जाता है, तो वो है गांठ
जो रिश्ते के मध्य में आई थी,
जो दो लोगों के अलगाव का कारण बनी थी
तब सारे जतन फीके पड़ जाते है
जो एक वक्त रिश्ते को संजोने में किए थे
और ताल्लुक फिर धीरे धीरे टूट जाते है
खास सा वो रिश्ता
जिंदगी का एक किस्सा बनकर रह जाता है।
“गहरे रिश्ते भी टूट जाते है पलभर में, अहम ज्यादा हो अगर पकड़ से।” इसलिए रिश्ते को संजोकर रखना सीखे, उनकी कद्र करें। कामयाबी या अहम के गुमान में किसी भी रिश्ते का कभी अपमान ना करे। क्यूंकि जिंदगी में रिश्ते आगे आने वाली हर उपलब्धि से कहीं ज्यादा कीमती होते है। रिश्ते अनमोल होते है।
– सुमन मीना (अदिति)