रिश्ता
रिश्ता में आवत हवे,जबसे कुछ प्रतिरोध।
बाति-बाति पर होत बा, देखिं आज विरोध।
लालच में आन्हर भइल, लाभ-हानि के फेर-
समझे ना देला कुछो, दिल में भरल किरोध।
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
रिश्ता में आवत हवे,जबसे कुछ प्रतिरोध।
बाति-बाति पर होत बा, देखिं आज विरोध।
लालच में आन्हर भइल, लाभ-हानि के फेर-
समझे ना देला कुछो, दिल में भरल किरोध।
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’