रिश्ता ये प्यार का
प्रीत प्रेम की डोर से बँधा है रिश्ता ये प्यार का
सच्चे दिल से जो तुमने लिखा प्रेम एहसास का
फासला था मग़र दिलों में हमारे प्रेम बेशुमार था
चाँदनी रात की शीतलता में दिल भी बेकरार था
मैं दूर भी तुमसे थी,पर हरपल तुम पास मेरे थे
मेरे हर शब्द, हर सोच में बस तुम ही साथ मेरे थे
दूर होकर भी सपनो में मजा था मुलाकात का
प्रीत प्रेम की डोर से बँधा है रिश्ता ये प्यार का
हर क्षण हर लम्हा बस तेरी यादों ने घेरा मन को
तेरी छवि ने कातर किया इस मन के उपवन को
दिल की बगियाँ महकी-महकी जैसे फूल गुलाब का
मेरी जवानी पर भी रंग चढ़ा हो रंग तेरे शबाब का
याद आता है हर लम्हा बिताये तेरे साथ का
प्रीत प्रेम की डोर से बँधा है रिश्ता ये प्यार का
सहसा मन ये जगा प्रातः उजाले की अंधयारी थी
मन ये बैरागी सा ताल लिए तेरी छवि भी प्यारी थी
एक चेहरा था उस चेहरे के पीछे जिसे ना मैंने जाना
रुत ये कैसी आयी पहचान के भी ना तुम्हें पहचाना
अब क्या करूँ मेरे दिल में मचलते जज्बात का
प्रीत प्रेम की डोर से बँधा है रिश्ता ये प्यार का
निर्मम था वो चाँद मेरा जिसने भरी उजियारी थी
फैसले ने फासलों से दूर किया शब्द भी अंगारे थे
नयनों से भी अश्रु बहते जैसे जग पूरी बेगानी थी
प्रेम की राहों से भी जानेमन मैं बड़ी अनजानी थी
याद आता हैं हर मंजर तेरी प्यारी बात का
प्रीत प्रेम की डोर से बँधा है रिश्ता ये प्यार का
ममता रानी
राधानगर, बाँका, बिहार