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13 May 2019 · 1 min read

रिवायतें

जाने कैसी कैसी रिवायतें जमाने की
कीमत है नमक ,ज़ख्म दिखाने की

हाथ जोड़े, उसके क़दमों में जा बैठें
कोई तरकीब ओर बताओे पास लाने की

कितनी बार खोया भीड़ में फिर भी
वो कोशिशें नहीं छोड़ता दूर जाने की

मैं गिरवी रख दूँ ज़िन्दगी अपनी
तुम कीमत तो बताओ उसे मनाने की

चैन सुकून तक ख़ाक हो गया अब
क्या ख़ूब सज़ा है दिल लगाने की

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