रिम झिम रिम झिम बूँद गिरि सावन आया
कविता
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रिम -झिम रिम -झिम बूँद गिरि सावन आया,
हरियाली पेड़ो पर छाई सावन आया,
आसमान में घनी घटायें ,☁?☁
??? शा म को अंधेरी बाहें,
खुश हैं पंक्षी खुला हैं आसमान,
रो के हँस पढ़ा हैं इंशान,
आसमान गरजें बादल डोले,
मन में उठी ह ठंडी आँहे,
सुबह शाम रहती मधु वरता ,
मिलने को कोई अपना आये,
याद आ गई उनकी यादे ,
जो अपने मन को भाये,
करो सलाम इस सुन्दरता को,
जो सवान में सबको
लुभाये,|
रिम- झिम रिम-झिम बूँद गिरि सावन आया,|
हरियाली पेड़ों पर छाई सावन आया,||
लेखक—: Jayvind Singh