रिमोट :: वोट
हर तरफ लुटेरे घूम रहें है, जरा उनसे संभलकर चलना ,
कोई तुम्हें लूट न ले इस “जहाँ” में थोड़ा बच कर चलना I
अपनी जिंदगी का “ रिमोट ” उनको देकर सवाल करते हो,
उनकी आलीशान जिंदगी को देखकर अपना हाल कहते हो,
जाति, धर्म में उलझकर महानता का तुम बखान करते हो,
उनके खिलौने बनकर “ माँ भारती ” का गुण-गान करते हो,
हर तरफ लुटेरे घूम रहें है ,जरा उनसे संभलकर चलना ,
कोई तुम्हें लूट न ले इस “जहाँ” में थोड़ा बच कर चलना I
तुम्हारा “ रिमोट वोट ” तुम्हें तुम्हारा अधिकार दिलाएगा,
तुम्हारी संतानों को तरक्की का कर्मयोगी रास्ता दिखायेगा,
अरमानों को एवरेस्ट की ऊँचाइयों के शिखर पर ले जायेगा,
वर्ना जहाँ पर जीवन शुरू किया वहीँ पर ख़त्म हो जायेगा,
हर तरफ लुटेरे घूम रहें है, जरा उनसे संभलकर चलना ,
कोई तुम्हें लूट न ले इस “जहाँ” में थोड़ा बच कर चलना I
“माँ भारती “ ने तुमको जीने के लिए एक अधिकार दिया ,
गुलामी से निकलने पर तुम्हारे लिए यह बड़ा काम किया,
अमीर- गरीब एक आदमी को एक वोट का हथियार दिया ,
जाति-मजहब की खातिर तुमने क्यों सब कुर्बान कर दिया ?
हर तरफ लुटेरे घूम रहें है जरा उनसे संभलकर चलना ,
कोई तुम्हें लूट न ले इस “जहाँ” में थोड़ा बच कर चलना I
बेदर्दी ज़माने में कोई नहीं सुननेवाला तुम्हारी बात,
“राज” यहाँ सभी चला रहें है अपनी -२ बड़ी दुकान,
एक आवाज से बेच रहें है कफ़न का हर एक सामान,
रिमोट तुम्हारा लेकर तुमको पहुचातें केवल श्मशान,
हर तरफ लुटेरे घूम रहें है जरा उनसे संभलकर चलना ,
कोई तुम्हें लूट न ले इस “जहाँ” में थोड़ा बच कर चलना I
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देशराज “राज”