*रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)*
रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)
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( 1 )
सावन – भादो में हरियाली, कितनी मतवाली है
रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है
( 2 )
कभी धूप अच्छी लगती है, सोने – जैसी पीली
कभी घटा छाई नभ पर, सुंदर लगती काली है
( 3 )
कहीं दूर कोई हँसता है, खुद में खोया – खोया
उसी एक ने सब दुनिया, आह्लादित कर डाली है
( 4 )
खरपतवार उगे गमलों में , उपवन में क्यारी में
मुक्ति दिलाने वाला उनसे, बस केवल माली है
( 5 )
कुछ तो कमी रही होगी, थोड़ी तुममें भी सोचो
एक हाथ से वरना बजती, कभी नहीं ताली है
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451