Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2020 · 1 min read

रिन्द सारे ही साक़ी उठा ले गयी

रिन्द सारे ही साक़ी उठा ले गयी
साथ आंखों में वो मैक़दा ले गयी

कश्तियों को बहा बद् दुआ ले गयी
ज़िन्दगी को डरा कर क़ज़ा ले गयी

रंग फीके सभी फूल हैं ग़मज़दा
ख़ुश्बुयें बाग़ से सब हवा ले गयी

ढांककर जिस्म रखना पड़ा था उसे
मुफ़लिसी छीनकर वो रिदा ले गयी

आबोदाने की उठ्ठी जो उनको हुड़क
वो हुड़क सब परिन्दे उड़ा ले गयी

देख हैरान उसकी मैं कारीगरी
वो तो आंखों से काजल चुरा ले गयी

शक़ हुआ ही नहीं इस क़दर थी वफ़ा
ज़ीस्त बनकर वो सब-कुछ मेरा ले गयी

एक अन्धे ने किस्मत से मांगी दुआ
रौशनी दी तो किस्मत सदा ले गयी

टूटना ही मुक़द्दर में था ज़िद मेरी
पत्थरों के नगर आइना ले गयी

पास ‘आनन्द’ उसके बचा अब है क्या
अक़्ल को तो उड़ाकर अना ले गयी

– डॉ आनन्द किशोर

3 Likes · 1 Comment · 228 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वह देश हिंदुस्तान है
वह देश हिंदुस्तान है
gurudeenverma198
2271.
2271.
Dr.Khedu Bharti
बहू-बेटी
बहू-बेटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राम लला की हो गई,
राम लला की हो गई,
sushil sarna
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
हिंदू धर्म की यात्रा
हिंदू धर्म की यात्रा
Shekhar Chandra Mitra
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
***
*** " मन मेरा क्यों उदास है....? " ***
VEDANTA PATEL
Bundeli Doha - birra
Bundeli Doha - birra
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
एक बंदर
एक बंदर
Harish Chandra Pande
*वे ही सिर्फ महान : पाँच दोहे*
*वे ही सिर्फ महान : पाँच दोहे*
Ravi Prakash
" माँ का आँचल "
DESH RAJ
आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
Jitendra kumar
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
Shweta Soni
आप अपना
आप अपना
Dr fauzia Naseem shad
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
शेखर सिंह
ऐसे खोया हूं तेरी अंजुमन में
ऐसे खोया हूं तेरी अंजुमन में
Amit Pandey
भारत बनाम इंडिया
भारत बनाम इंडिया
Harminder Kaur
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
You cannot find me in someone else
You cannot find me in someone else
Sakshi Tripathi
नवल प्रभात में धवल जीत का उज्ज्वल दीप वो जला गया।
नवल प्रभात में धवल जीत का उज्ज्वल दीप वो जला गया।
Neelam Sharma
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
Kanchan Khanna
गज़ल
गज़ल
करन ''केसरा''
संभव की हदें जानने के लिए
संभव की हदें जानने के लिए
Dheerja Sharma
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
*Author प्रणय प्रभात*
हर इंसान लगाता दांव
हर इंसान लगाता दांव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
साँवरिया तुम कब आओगे
साँवरिया तुम कब आओगे
Kavita Chouhan
Loading...