Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2022 · 2 min read

रिंगटोन

रिंगटोन

आज श्रुति मन कहीं लग नहीं रहा था । वह पार्क में बैठने के लिए चली आई । आकर एक बेंच पर बैठ गई और सामने बच्चे खेल रहे थे, कुछ बुजुर्ग धीरे-धीरे टहल रहे थे, कुछ युगल घास पर बैठे बतिया रहे थे ।
बैठे-बैठे कुछ दिन पहले की बातें श्रुति के मन में चलने लगा ‘अवि को कितने प्यार से समझाई थी कि देखो काम अपनी जगह और रिश्ते अपनी जगह काम के लिए रिश्ते को भूला नहीं जाता । लेकिन मेरी बातों का उस पर कोई असर ही नहीं होता । दो दिन से न तो फोन करता है और न ही कोई मैसेज। मैं फोन करती हूँ तो नोट रिचेबल आता है । अब क्या करूँ , कैसे समझाऊँ उसे कि वह बहुत-बहुत दिनों के लिए जब बाहर जाता है तो मुझे अकेले मन तो नहीं ही लगता है , बल्कि बात नहीं होने से चिंता भी होने लगती है । जाने कैसे-कैसे ख्याल आने लगते हैं । कहीं मुझे झूठ तो नहीं कहता । मेरे अलावा कहीं कोई और भी तो नहीं उसकी जिंदगी में ?’
“ना बाबा ना .. ” सहसा उसके मुंह से निकला और एकदम से सिहर सी गई वह ।
तभी उसका मोबाइल बज उठा । रिंगटोन से ही समझ गई अवि का ही फोन है । ये रिंगटोन अवि ने ही मेरे मोबाइल में सेट कर दिया था । ‘क्या मालूम यहाँ से दूर रहने की उसकी मजबूरी मेरे लिए भी क्या सोच रहा हो ।’
आंखें पनीली हो गई और बुदबुदाई ‘धत् मैं भी ना जाने क्या क्या सोचने लगी थी । पर भूला नहीं है वो..’ इधर मोबाइल में रिंगटोन बज रहा था “भुला नहीं देना जी, भुला नहीं देना, जमाना खराब है … ”

–पूनम झा
जयपुर, राजस्थान

मोबाइल – 9414875654
Email – poonamjha14869@gmail.com

Language: Hindi
4 Likes · 408 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अब लगती है शूल सी ,
अब लगती है शूल सी ,
sushil sarna
मिट्टी
मिट्टी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" विडम्बना "
Dr. Kishan tandon kranti
3427⚘ *पूर्णिका* ⚘
3427⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
सब्र करते करते
सब्र करते करते
Surinder blackpen
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
शेख रहमत अली "बस्तवी"
यादों के तटबंध ( समीक्षा)
यादों के तटबंध ( समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बम
बम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रेम है तो जता दो
प्रेम है तो जता दो
Sonam Puneet Dubey
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
दर्द
दर्द
SHAMA PARVEEN
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
न्याय यात्रा
न्याय यात्रा
Bodhisatva kastooriya
******** प्रेरणा-गीत *******
******** प्रेरणा-गीत *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
Phool gufran
बॉलीवुड का क्रैज़ी कमबैक रहा है यह साल - आलेख
बॉलीवुड का क्रैज़ी कमबैक रहा है यह साल - आलेख
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
Slok maurya "umang"
बहुत  ही  खूब सूरत वो , घर्रौंदे  याद आते है !
बहुत ही खूब सूरत वो , घर्रौंदे याद आते है !
Neelofar Khan
"विजयादशमी"
Shashi kala vyas
क़िस्मत का सौदा करने चली थी वो,
क़िस्मत का सौदा करने चली थी वो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बुझदिल
बुझदिल
Dr.Pratibha Prakash
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
Rj Anand Prajapati
जिंदगी बहुत आसान
जिंदगी बहुत आसान
Ranjeet kumar patre
खाली सड़के सूना
खाली सड़के सूना
Mamta Rani
ज़िंदगी चाँद सा नहीं करना
ज़िंदगी चाँद सा नहीं करना
Shweta Soni
माँ मुझे विश्राम दे
माँ मुझे विश्राम दे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
*रथ (बाल कविता)*
*रथ (बाल कविता)*
Ravi Prakash
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
Neelam Sharma
Loading...