राह जरा बच के चलना (मत्तगयंद सवैया)
स्वार्थ भरा मन साथ लिये बस ऊपर से उपकार करेंगे,
है जिनके मन द्वेष भरा वह लोग भला कब प्यार करेंगे,
लाभ दिखे जिस ठाँव सदा छल, ढोंग वहीं हर बार करेंगे,
राह जरा बच के चलना वह फूल दिखाकर वार करेंगे।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 01/12/2021