राह के पथिक ।
राह के पथिक हैं ,हम
सच्चाई से नहीं कतराते हैं ।
राह पर फूलों से नहीं ,
पत्थर का सामना करके आते हैं।
नदियां पहाड़ के जटिल रास्ते से,
हम नहीं इतराते हैं।
पीठ पीछे बोली गई,
बुराई से हम नहीं घबराते हैं ।
धूप ,बारिश की झक झोड़ो से,
हम कदम पीछे नहीं हटाते हैं।
अपनी मंजिल के लिए हम,
मुसीबतों से नहीं घबराते हैं ।
कदम – कदम के बाधाओं से ,
हम सुराग निकाल लाते हैं ।
सर से टपकते पानी से ,
सूखी भूमि पर पानी ले आते हैं ।
हम पथिक उस राह के ।
अंधेरे भविष्य के लिए ,
दीपक रूपी सवेरा लाते हैं।
उज्जवल भविष्य की रोशनी फैलाते हैं।
By :-निशांत प्रखर
खगड़िया