राहों में लग गए यारों के मेले
घर से निकले थे हम अकेले
राहों में लग गए यारों के मेले
अकेले कैसे लंबी राह कटेगी
काली छायी घटा कैसे घटेगी
यूँ ही राह चलते बन गए चेले
राहों में लग गए यारों के मेले
अन्धेरी घोर रात कैसे कटेगी
जीवन-ज्योति ये कैसे जगेगी
राहों में चलते हो गए उजाले
राहों में लग गए यारो के मेले
राहों में नए साथी मिलते रहे
मिलते रहे यूँ ,आगे बढते रहे
जिंदगी के दूर हो गए झमेले
राहों में लग गए यारों के मेले
एक से दो हुए ,दो से चार हुए
मिलते मिलते कई हजार हुए
यारों के वहाँ लगे थे खूब मेले
राहों में लग गए यारों के मेले
राह में सुंदरी से मुलाकात हुई
प्यार भरी खूब उनसे बात हुई
सफर में भरे जज्बातों के ठेले
राहों में लग गए यारों के मेले
मंजिल मिली राहें आसान हुई
हारी बाजी जीगर के पास हुई
स्वप्न प्यार के हो गए थे रंगीले
राहों में लग गए यारों के मेले
घर से निकले थे हम अकेले
राहों में लग गए यारों के मेले
सुखविंद्र सिंह मनसा
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258