राहुल आकर मिले मुझसे!!!
मैं राहुल से मिलूं या राहुल आकर मिले मुझसे,
वह अपनी बात कहे, और मैं अपनी बात कहूं उससे!
क्यूं राजनीति में अटके हुए, उलझे उलझे रहते हो,
भटका हुआ मुसाफिर जैसे किसी बियाबांन में खो गया हो!
क्या लक्ष्य है जीवन का,क्या उस पर भी सोचा है,
ढो रहे हो जिस बिरासत को,वह तुम्हें भी ढो रही है,
नहीं प्रचारक तुम किसी संगठन के,क्यों अवि विवाहित रह रहे हो,
हाथ थाम लो तुम उसका, जो तुम्हे और वो तुमको भाती हो,
घर गृहस्थी में रखो कदम,क्यों जिम्मेदारीयो से भागते हो!
राजनीति का पाठ वह तुम्हें सिखलाएगी,
ना-मुराद जो पुरी हुई तो आंख भी दिखलायेगी,
जो गर उसे रखोगे खुश, तो वह तुमको समझायेगी,
क्या सही क्या है गलत, इसका भी भेद करायेगी,
जो तुमसे टकरायेगा, वह उससे भी भीढ जायेगी,
कोई साथ दे ना दे,वह तो हर कदम पर साथ निभायेगी!
जीने का मकसद देगी,रिस्तों की गरमाहट भी,
घर आंगन में गूंजेगी, नन्हे-मुन्नों की किलकारी भी,
मां दादी बनकर चहकेगी, पत्नी मां बनकर महकेगी,
बहन बुआ बन जाएगी, अनुराग भतीजे पर बरसाएगी,
सास-ससुर;साला- साली,ना कर पाएंगे हिला हवाली,
हर सुख-दुख में साथ रहकर काम आएगी घरवाली!
घर में जब मन रमने लगेगा, तो काम पर भी मन रमेगा,
जिम्मेदारी के जज्बे को, पुरा भी करना पड़ेगा,
इधर उधर की उल जलूल चर्चाओं से बचना आ जाएगा,
चापलूसों की चालाकियों को भी परखना आ जाएगा,
जो नाम धर रहें हैं अब तक, उन्हें भी ज़बाब मिल जाएगा,
पप्पू ,पति- पिता से लेकर जिजा, और दामाद तक कहलाएगा!!
क्या राहुल मुझको मिल पाएगा??
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छीछालेदर का सामना करते राहुल को एक नागरिक की ओर से।