रास्ते का फूल न बन पाई तो..
रास्ते का फूल ना बन पाई तो ..
रास्ते का खार बन कर क्या करूं..
जो ह्वदय का हार ना बन पाई तो..
फिर ह्वदय का भार बन कर क्या करूं..
पाथेय बनना था मगर पथ हीन ही तुमको किया,
विष ही मिला तुमको सदा ,पीयूष था मैंने पिया,
मैं साथ होकर शाप सी तुमको विदित होती रही,
मैं मार्ग की बाधा बनी तुम पर हृदय खोती रही ,
किंतु प्रिये तुम पर यही अपकार अब होगा नही,
अनुचित ही था व्यवहार ,यह व्यवहार अब होगा नही,
तुम को जो भय आतुर करे,वो कैसे मुझको भाएगा,
जो तुम करो अस्वीकार वह निर्दोष माना जाएगा,
जो तुम्हारे लक्ष्य का सोपान ना बन पाई तो,
फिर तुम्हारे भाव का उन्वान बन कर क्या करूं.
रास्ते का फूल ना बन पाई तो ..
रास्ते का खार बन कर क्या करूं
©Priya✍️