राष्ट्र वही है विकसित जागी जहाँ जवानी
(मुक्त छंद)
अटल आत्मविश्वास, बज्र-सा मानस तेरा |
जिस दिन बन जाएगा उस दिन नया सवेरा||
दिखलायेगा उन्नति का सूरज चढ़ता-सा|
होगा सत्यानाश दीनता औ जड़ता का ||
कह “नायक” कविराय बनो मानव तुम ज्ञानी|
राष्ट्र वही है विकसित जागी जहाँ जवानी||
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
यह मुक्त छंद “दैनिकअमर उजाला समाचार पत्र” कानपुर में दिनांक -4 मई 1999 को पृष्ठ संख्या 6 पर “खास खत” के रूप में प्रकाशित मेरे लेख “राष्ट्र वही है विकसित जागी जहां जवानी ” के अंत में प्रकाशित हो चुका है|
वर्ष 1999 में मैं”उरई” में रहता था |
बृजेश कुमार नायक
सम्पर्क सूत्र – 9455423376
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