राष्ट्र-मंदिर के पुजारी
राष्ट्र-मंदिर के पुजारी, प्रगति-पथ पर बढ़ रहे हैं।
थी निराशा हर तरफ, थी सुप्त मांँ भारत की गोदी,
दूत भेजा इष्ट ने तब, सौराष्ट्र से ‘नरेन्द्र मोदी’ ।
व्याप्त था जब तिमिर चहुँ-दिशि, किरण रवि की दी दिखाई,
अजित-ऊर्जा आपकी तब, राष्ट्र के हित काम आई।
विश्व के सब देश भी, इतिहास फिर से पढ़ रहे हैं,
राष्ट्र-मंदिर के पुजारी, प्रगति-पथ पर बढ़ रहे हैं।१।
ध्येयनिष्ठा आपकी, जग में चमकती तरुण रवि सी,
दिख रही माँ-भारती की, बन रही वह नवल छवि सी।
चाह केवल देश मेरा, विश्व में फिर जगमगाये,
स्वप्न यह मन में संजोये, चल रहे नित पग बढ़ाये।
विश्व भर की दनुज-शक्ति से अकेले लड़ रहे हैं,
राष्ट्र-मंदिर के पुजारी, प्रगति-पथ पर बढ़ रहे हैं।२।
धन्य है माँ भारती, जो पुत्र जाया आप जैसा,
मैं नहीं परतंत्र तब, अभिव्यक्ति में संकोच कैसा?
फिर बनेंगे विश्वगुरु हम, आज है विश्वास आया,
अब छटेंगे घोर वारिद, पुत्र माँ भारत ने पाया।
दिव्य माँ की किंकिणी पर मोतियाँ सी जड़ रहे हैं,
राष्ट्र-मंदिर के पुजारी, प्रगति-पथ पर बढ़ रहे हैं ।३।
फिर अवध को जगमगाकर, देश का गौरव बढ़ाया,
श्रीराम को आसीन कर सम्मान सरयू का जगाया।
संघ के संस्कार और शिक्षा सनातन संस्कृति की,
त्याग कर सुख-चैन सारे, मात्र चिंता राष्ट्रहित की।
लोकहितकारी सनातन राष्ट्र फिर से गढ़ रहे हैं,
राष्ट्र-मंदिर के पुजारी, प्रगति-पथ पर बढ़ रहे हैं ।४।
– नवीन जोशी ‘नवल’