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5 May 2024 · 1 min read

“मेरे मन की बगिया में”

ऐसे उतरता है तेरा ख़्याल,
मेरे मन की बगिया में!!

चाँदनी ज्यों उतरती है,
हौले-से घर के आँगन में!!

बस वैसे ही कभी मालती-सा,
महक उठता है तन-मन मेरा,

जैसे बदन पर चांदनी बरसती है,
तेरे ख़्यालों की रिमझिम बारिश में!!

Language: Hindi
18 Views
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