राष्ट्र को नव धार दो 【गीतिका】
राष्ट्र को नव धार दो 【गीतिका】
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(1)
बँट न जाना जातियों में ,फायदे दुत्कार दो
क्षुद्र छोड़ो लाभ ,चिंतन को नया विस्तार दो
(2)
देश का जो कर्ज है ,उस कर्ज की तुमको कसम
राष्ट्र-हित को राष्ट्र में ,मतदान का आधार दो
(3)
अपराधियों को दंड दे ,घोर हाहाकार दो
नीति यह तुष्टीकरण की ,पूर्ण आज बिसार दो
(4)
देश की संस्कृति सनातन देश में पूजें सभी
दंगा-विहीन स्वरूप दे ,राष्ट्र को नव-धार दो
(5)
फैसला लेकर पुरातन को नया आकार दो
राम-मंदिर भव्य काशी-धाम को श्रंगार दो
(6)
राज हो ऐसा इलाहाबाद राज-प्रयाग हो
अब अयोध्या की ,न फैजाबाद की सरकार दो
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451