राष्ट्रीय ध्वज.. मन की बात…!!
मैं आपका राष्ट्रीय ध्वज हूँ.. आज आप मेरे भी मन की बात सुनिए.
लगता है आप लोग मुझे भूल गए हैं. साल में सिर्फ १५ अगस्त और २६ जनबरी को ही आपको मेरी याद आती है.
बाकी दिनों में आप अपने अपने घरो की छतों पर अधिकतर भगवा या हरे रंग का झंडा फहराते हो. एक बार आप मुझे भी देख लो. आज से लगभग ७० साल पहले पिंगली वेंकय्या द्वारा जब मुझे बनाया गया था. तब शायद इतनी आवादी भी नहीं थी और इतनी साम्प्रदायिकता भी नहीं थी. हमारा पड़ोसी पाकिस्तान हम में ही था. हम सब साथ साथ रहते, खाते पीते, मजे करते थे. देश आजाद हो गया और मुझ में हरा रंग काट कर अलग कर दिया गया.
और शायद तब से छतों पर राष्ट्रीय ध्वज की जगह साम्प्रदायिक ध्वजों ने ले ली.
मेरी आपसे विनती है कि अगर आप ध्यान से मुझे देखेंगे तो मुझमे आप केसरिया (भगवा) और हरा रंग दोनों ही पाएंगे. इन दोनों के बीच में नीला चक्र ही तो स्रष्टि है. यह वही नीला आकाश है जो हम दोनों को जोड़ता है, कहीं कोई भेद भाब नहीं करता.
कृपया सारे मतभेद भुलाकर मुझे अपना लो. इस देश में रहने का फ़र्ज़ हो अदा करो, भगवा और हरे झंडे को निकाल फेंको और मुझे अपना लो…
धन्यवाद….!!
भारत माता की जय…