* राष्ट्रभाषा हिन्दी *
** हिन्दी का सम्मान **
शासन के सब कार्यों में जब हिन्दी का सम्मान न होगा।
तब तक दुनियां में भारत का सबसे ऊंचा स्थान न होगा।
अपनी भाषा बिन राष्ट्रों की कोई पहचान नहीं होती।
आजादी आधी है जब तक हिन्दी को अधिमान न होगा।
राष्ट्र हित का भाव जगेगा केवल अपनी ही भाषा से।
अंग्रेजी अपनाकर तो फिर भारत का उत्थान न होगा।
वेदों उपनिषदों की धरती पर हिन्दी ने जन्म लिया है।
बिन हिन्दी भारत का हमको बिल्कुल पूरा ज्ञान न होगा।
कैसे कह सकते हमको आजाद हुये दशकों बीते हैं।
जब तक संसद न्यायालय से अंग्रेजी प्रस्थान न होगा।
अपनी भाषा के खोये सम्मानों को वापिस पाना है।
ठानें दिल में इसकी खातिर आजीवन विश्राम न होगा।
विश्व गुरू बनने का सपना कैसे हम साकार करेंगे।
विश्व गगन पर हिन्दी मेँ जब भारत का गुणगान न होगा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य।