‘रावण’
रावण बेशुमार जले हैं कल
जलाने वाले क्या राम थे?
नहीं, जब तक राम बनकर
रावण को नहीं मारोगे,
रावण का ही राज रहेगा।
रावण रावण को नहीं मार सकता,
उस रावण को तुम क्या जलाओगे,
जो भक्त बनकर अपना शीष काटकर प्रभु को समर्पित कर देता है। अरे दुनियावालों तुम राम क्या रावण कहलाने योग्य ही बन जाओ! उसे भूत-भविष्य का ज्ञान था । विद्वान, महाज्ञानी, योद्धा, वैद्य, लेखक , काल भी उसके वश में था।एक अवगुण था कि उसे अपने इन गुणों के कारण घोर अहंकार था। उसके अहंकार को दूर करने के लिए ही श्रीराम धरती पर अवतरित हुए। रावण का वध करने के उपरांत प्रभु राम ने तक प्रायश्चित्त किया ।
-गोदाम्बरी नेगी