Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2022 · 3 min read

*#रायता (हास्य व्यंग्य)*

#रायता (हास्य व्यंग्य)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
न जाने , रायते को इतनी गिरी हुई दृष्टि से क्यों देखा जाता है कि अगर रायता कहीं गिर जाए तो उसको रायता फैलाना एक कहावत मान लिया जाता है ? आज तक किसी ने नहीं कहा कि भिंडी फैलाना ,आलू फैलाना ,गोभी फैलाना । लेकिन “रायता फैलाना” बहुत बुरे अर्थों में लिया जाता है । जबकि देखा जाए तो बेचारे रायते का क्या कसूर ! उसे रायतेदान में जो व्यक्ति ले जाकर पंगत में परोसने जा रहा था, उसके हाथ से सर्वप्रथम रायतेदान गिरा, परिणामस्वरूप रायता गिरा और जमीन पर फैल गया । रायते का गिर कर जमीन में फैल जाना एक सामान्य घटना के तौर पर लोग क्यों नहीं लेते?
फैलने से याद आया कि प्रायः बच्चे फैल जाते हैं । इसका अभिप्राय नाराज होना होता है । बच्चे फैलने का अर्थ है ,बच्चा नाराज हो जाना और अपना मांग पत्र अभिभावकों के सामने उसके द्वारा प्रस्तुत किया जाना । इसे बच्चा फैलना कहते हैं । यह फैलना उस फैलने से भिन्न है जिससे जंगल कटते हैं और शहर फैलता है । यह फैलना वैसा भी नहीं है जैसा रिश्वतखोरों का पेट फैलता है ।
खैर ,रायता दही से बनता है और दही स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है । बहुत से लोग दही की कढ़ी बनाते हैं । कढ़ी का अभिप्राय है कि बेसन और दही के घोल में बेसन की पकौड़ियाँ डालकर जो गर्म-गर्म बनता है, उसे कढ़ी कहते हैं । कई लोग कढ़ी में बेसन की पकौड़ियाँ डालने के स्थान पर रायता डाल देते हैं । रायते में नुकती होती है ,जो बेसन की बनी हुई होती है । इस तरह छोटी बूंदी की कढ़ी तैयार हो जाती है ।
रायता कई प्रकार का होता है । बेसन की बूंदी वाला रायता ,पुदीने का रायता ,खीरे का रायता आदि । जब रायता खट्टा हो जाता है अर्थात उसका दही स्वाद में खट्टा होता है तब वह खाने योग्य नहीं रहता तथा गला खराब कर देता है । याद आया कि खट्टे दही अथवा खट्टे रायते का सदुपयोग कढ़ी बनाने में खूब होता है । इससे नींबू या टाटरी का खर्चा बच जाता है । कढ़ी भी बढ़िया बनती है ।
खैर , कुछ लोग रायते में चीनी डालकर
खाते हैं । यह लोग दही में भी चीनी डालकर खाते हैं । दही-मिष्टी अपने आप में एक अनूठा स्वादिष्ट व्यंजन होता है । जो लोग दही पसंद नहीं करते ,उन्हें रायता भी पसंद नहीं आता ।
भंडारे में आलू की सब्जी और गंगाफल के साथ रायते का विशेष महत्व रहता है। रायता दो प्रकार से बनता है। एक ,गाढ़ा रायता। इसमें दही में पानी कम मिलाया जाता है । दूसरे प्रकार का पतला रायता कहलाता है । इसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है । आमतौर पर गाढ़ा रायता महंगा बैठता है । लेकिन लोगों को गाढ़ा रायता पसंद आता है । बात पैसे की नहीं है । कई बार पतला रायता ज्यादा अच्छा और स्वादिष्ट होता है । रायते का स्वाद उसमें भुना हुआ जीरा डालने से और भी बढ़ जाता है ।
कुछ लोग ब्याह-बरातों और भंडारों में रायता खाने की बजाय पीते हैं । कुछ लोग दो या तीन कटोरी रायता पी जाते हैं । जब भी रायतादान लेकर आता हुआ व्यक्ति दूर से दिखता है , तो पंगत में बैठे हुए समझदार सज्जन अपना रायता तुरंत पी जाते हैं और कटोरी खाली कर देते हैं । खाली कटोरी देखकर रायतेदान लेकर घूमने वाला व्यक्ति कटोरी को रायते से भर देता है । इसे चतुराई-पूर्वक भंडारे में भोजन का सेवन करना कहा जाता है ।
======================
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

125 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
सूरज सा उगता भविष्य
सूरज सा उगता भविष्य
Harminder Kaur
"नजरों से न गिरना"
Dr. Kishan tandon kranti
दौलत
दौलत
Neeraj Agarwal
#संडे_स्पेशल
#संडे_स्पेशल
*प्रणय प्रभात*
* मन में कोई बात न रखना *
* मन में कोई बात न रखना *
surenderpal vaidya
भूल जा इस ज़माने को
भूल जा इस ज़माने को
Surinder blackpen
दुरीयों के बावजूद...
दुरीयों के बावजूद...
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
*पूजा का थाल (कुछ दोहे)*
*पूजा का थाल (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
ज़िंदगी एक जाम है
ज़िंदगी एक जाम है
Shekhar Chandra Mitra
नारी वेदना के स्वर
नारी वेदना के स्वर
Shyam Sundar Subramanian
बिन सूरज महानगर
बिन सूरज महानगर
Lalit Singh thakur
विगुल क्रांति का फूँककर, टूटे बनकर गाज़ ।
विगुल क्रांति का फूँककर, टूटे बनकर गाज़ ।
जगदीश शर्मा सहज
सब बिकाऊ है
सब बिकाऊ है
Dr Mukesh 'Aseemit'
झुलस
झुलस
Dr.Pratibha Prakash
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
2778. *पूर्णिका*
2778. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चलो आज कुछ बात करते है
चलो आज कुछ बात करते है
Rituraj shivem verma
बन्दे   तेरी   बन्दगी  ,कौन   करेगा   यार ।
बन्दे तेरी बन्दगी ,कौन करेगा यार ।
sushil sarna
15. गिरेबान
15. गिरेबान
Rajeev Dutta
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
उन अंधेरों को उजालों की उजलत नसीब नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
VINOD CHAUHAN
अरब खरब धन जोड़िये
अरब खरब धन जोड़िये
शेखर सिंह
कविता
कविता
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
VEDANTA PATEL
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Sidhartha Mishra
05/05/2024
05/05/2024
Satyaveer vaishnav
International Camel Year
International Camel Year
Tushar Jagawat
वह फूल हूँ
वह फूल हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
पूर्वार्थ
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जय लगन कुमार हैप्पी
Loading...