चंद्रयान 3 ‘आओ मिलकर जश्न मनाएं’
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
बहारों कि बरखा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
मिल जाते हैं राहों में वे अकसर ही आजकल।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जिंदगी की एक मुलाक़ात से मौसम बदल गया।
हाँ बहुत प्रेम करती हूँ तुम्हें
दिन भर रोशनी बिखेरता है सूरज
लगी राम धुन हिया को
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आखिर क्या कमी है मुझमें......??