राम
प्रेम का दूसरा नाम- राम
1
राम ही , भक्ति है
प्रेम की , शक्ति है
जीत की ,साधना
प्रीति की, भावना
बस एक ,नाम हो
मन बसे , राम हो
2
क्रोध का ,नाश क्षय
स्वयं को, दे विजय
अहं से , युद्ध हो
चित्त भी, शुद्ध हो
सिया बसे ,वाम हो
मन बसे , राम हो
3
कठिन सी ,राह हो
मुक्ति की ,चाह हो
उठे इक, पुलक सी
बजे इक ,खनक सी
खुशी का , धाम हो
मन बसे , राम हो
4
झूठ का, नाश हो
सत्य का ,वास हो
ह्रदय में ,आस हो
भक्ति की, प्यास हो
सदा शुभ ,काम हो
मन बसे , राम हो
5
युद्ध का अंत हो
प्रेम ही अनंत हो
सूर्य का उजास हो
प्रीत का ,रास हो
जाप हो ,नाम हो
मन बसे राम हो
6
प्राण मे शक्ति हो
मन मे भक्ति हो
लय नही ,भंग हो
नवल इक, रंग हो
धूम हो ,धाम हो
मन बसे,