*राम-राम रटते तन त्यागा (कुछ चौपाइयॉं)*
राम-राम रटते तन त्यागा (कुछ चौपाइयॉं)
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1
राम-राम रटते तन त्यागा।
कहें भाग्य या कहें अभागा।।
श्राप पिता-माता का पाया।
श्रवण कुमार याद फिर आया।।
2
भूल मनुज का पीछा करती ।
किए कर्म की गति कब टरती।।
तेल पात्र में भर कर आया।
दशरथ-शव उसमें रखवाया ।।
3
भरत गए ननिहाल बुलाए।
लौटे सभी अपशगुन पाए।।
बस कैकेई हॅंसती पाई ।
लिए आरती भीतर लाई ।।
4
पिता-मरण सुनकर मुरझाए।
दो वरदान बाण ज्यों पाए।।
कहा पापिनी तुम कुलनाशक।
खाए पिता अवध शुभ-शासक।।
5
कौशल्या से मिलने आए ।
अश्रु ताप से भरे बहाए ।।
कहा न मेरी गलती माता ।
शपथ वेद की सत्य उठाता।।
6
वन को चले राम को लाने।
भरत किसी का कहा न माने।।
कहा न राजा मुझको बनना।
नहीं पंक-सत्ता में सनना ।।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451