राम नाम की धूम
** गीतिका **
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राम नाम की धूम मची है, हर आंगन हर बस्ती में।
डूब गए हैं सभी अहर्निश, भक्ति भावना मस्ती में।
सब के मन को खूब सुहाते, पर्व हमारे मन भावन।
और सभी की आस्था है दृढ़, अपनी वतनपरस्ती में।
गर्व हमें है राष्ट्र धर्म पर, इसको सर्वोपरि माना।
सबकी अपनी अपनी निष्ठा, अपनी अपनी हस्ती में।
स्वार्थ लोभ की बातें सारी, हमको भरमाती हर पल।
छोड़ दीजिए मोह व्यर्थ का, सब जाने दो सस्ती में।
साथ सभी को लेकर चलना, दूर करें बाधाएं सब।
जब पानी हो सर से ऊपर, पार करें मिल कश्ती में।
कभी कभी हर कठिनाई में, समय सिखा देता सब कुछ।
मनोयोग से कार्य करें जब, हो हर हालत खस्ती में।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)