राम की धुन
श्रीराम जय राम जय जय राम
श्रीराम जय राम जय जय राम
श्रीराम जय राम जय जय राम
सारा -जगत करता कोटि प्रणाम ।
सबकी है एक ही धुन
सबकी है एक ही प्यास
सबकी है एक ही आस
सीता -राम सीता -राम ।
चलो अब अयोध्या धाम
रामलला अयोध्या आए हैं
आयेंगे वे सबके काम
हैं वे बिल्कुल निष्काम ।
किया दोगे तुम उनको ?
किया लोगे तुम उनसे ?
जो मांगोगे तुम्हें मिलेगा
लेंगे नहीं वे तुमसे काम ।
कोई करता निर्माण का काम
कोई करता कला का काम
कोई साज सज्जा कर रहा
कोई करता सफाई का काम ।
कोई रंगोली बना रहा है
कोई दीपक सजा रहा है
‘राम -ज्योति ‘ जलाने को कोई
सबका हौंसला बढ़ाने का काम ।
कोई करता अनुष्ठान का काम
कोई प्राण प्रतिष्ठा का काम
कोई नहीं है ऐसा प्राणी
जिसके पास नहीं कोई काम ।
श्रीराम जय राम जय जय राम
श्रीराम जय राम जय जय ई—;राम
श्रीराम जय राम जय जय राम
सारा -जगत करता कोटि प्रणाम ।
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@ रचना – घनश्याम पोद्दार
मुंगेर