Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jul 2021 · 1 min read

जैसा करोगे वैसा भरोगे

जब कोई दीया जलाता है
चारों ओर रोशनी फैलाता है
उसी दिये से कोई घर जलाता है
और जीवन में अंधेरा फैलाता है।।

है सबके पास आग वही फर्क है
कि कोई कैसे उपयोग करता है
है पास हम सबके भी अथाह ऊर्जा
फर्क है, कोई कैसे उपयोग करता है।।

कोई अपने बाहुबल से
अपने देश की रक्षा करता है
कोई उसी बाहुबल से
चारों ओर भय फैलाया करता है।।

हो सत्ता गर पास तुम्हारे
कोई बस अपनो का भला करता है
कोई उपयोग कर सत्ता का
देश के जन जन का भला करता है।।

कोई पैसों के बल पर
विलासिता और अय्याशी ही करता है
कोई पैसे के उपयोग से
कई ज़रूरतमंदों की सेवा भी करता है।।

कोई जन कल्याण को ही
अपने जीवन का उद्देश्य बनाते है
लेकिन कोई अपने सामर्थ्य से
जनता में अपनी दहशत फैलाते है।।

है तुम्हारे पास क्या क्या
फर्क नहीं कोई पड़ता है
उससे जो तुम करते हो
वो ही प्रभावित करता है।।

जो निर्माण में लगाए ऊर्जा
वो ही राम कहलाता है
ऊर्जा विनाश में लगाने वाला
तो रावण कहलाता है।।

Language: Hindi
9 Likes · 2 Comments · 1053 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all

You may also like these posts

बांते
बांते
Punam Pande
बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"आरजू"
Dr. Kishan tandon kranti
17. Eat Right
17. Eat Right
Ahtesham Ahmad
नारी
नारी
राकेश पाठक कठारा
यथार्थ में …
यथार्थ में …
sushil sarna
पियार के रेल
पियार के रेल
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अनुरोध किससे
अनुरोध किससे
Mahender Singh
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Dr fauzia Naseem shad
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो ख़ुद हीे शराब-ए-अंगूर सी महक रही है ,
वो ख़ुद हीे शराब-ए-अंगूर सी महक रही है ,
Shreedhar
" नैना हुए रतनार "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
स्वाभाविक
स्वाभाविक
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
TAMANNA BILASPURI
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
goutam shaw
दिल का मौसम
दिल का मौसम
Minal Aggarwal
व्यथा हमारी दब जाती हैं, राजनीति के वारों
व्यथा हमारी दब जाती हैं, राजनीति के वारों
Er.Navaneet R Shandily
खुद से भाग कर
खुद से भाग कर
SATPAL CHAUHAN
4207💐 *पूर्णिका* 💐
4207💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
इम्तिहान
इम्तिहान
AJAY AMITABH SUMAN
बनोगे मेरे
बनोगे मेरे
sheema anmol
इंतजार बाकी है
इंतजार बाकी है
शिवम राव मणि
बड़ी मजबूरी है दिल की,
बड़ी मजबूरी है दिल की,
Kanchan Alok Malu
ज़िन्दगी एक प्लेटफॉर्म
ज़िन्दगी एक प्लेटफॉर्म
Shailendra Aseem
■ मी एसीपी प्रद्युम्न बोलतोय 😊😊😊
■ मी एसीपी प्रद्युम्न बोलतोय 😊😊😊
*प्रणय*
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मां
मां
Shutisha Rajput
मर जायेगा
मर जायेगा
पूर्वार्थ
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
आनंद प्रवीण
चुनावी युद्ध
चुनावी युद्ध
Anil chobisa
Loading...