राम और कृष्ण
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की तड़पे तो राम और कृष्ण भी थे ,घर छूटा -माँ बाप छूटे -वैभव छूटा -सखा बंधू बांधव छूटे -प्रेम छूटा -पत्नी छूटी -और ना जाने अनगिनत चीजें ,जब वो ही इन सबसे अछूते नहीं रहे तो हमारी आपकी तो बिसात ही क्या है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ये इंसानी फितरत है की जो व्यक्ति जितना एडजस्ट करता है ,हम उससे और कहीं ज्यादा एडजस्ट करवाने का प्रयास करते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस कलयुग में अगर आप किसी को इज्जत देने के लिए जरुरत से ज्यादा झुक जाओ तो लोग आपको गिरा हुआ समझ लेते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जिन्दा रहने के लिए केवल साँसों का चलना ही जरूरी नहीं ,अगर मन मर गया -दिल टूट कर बिखर गया -अर्श पर उड़ता पंछी फर्श पर आ गिरा तो यकीन मानिये वो चलती फिरती लाश से ज्यादा कुछ नहीं …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान