राम आओ फिर एक बार
पाप का प्रतिफल बढा है ।
सामने दानव खडा है ।
अटल पैर सामने जडा है ।
हंसी है अट्टाहास ।
राम आओ फिर एक बार।
बेटियाँ हैं असुरक्षित ।
रोज पापी कर रहा भक्षित।
कृत्य करता बार बार
राम आओ फिर एक बार।
कई रूप है बनाए,
मर कर शत बार जाये ।
भक्त करते हैं पुकार।
राम आओ फिर एक बार।
नीति पैरों से जो कुचले
रोज लेता है वो बदले
एक नहीं दानव है हजार
राम आओ फिर एक बार।
जगह जगह घूसखोरी
हर जगह हो रही चोरी।
फैलता है भ्रष्टाचार ।
राम आओ फिर एक बार।
विजय दशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
8/10/2019
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र