* रामलाला का दर्शन से*
सुनो साथियों ! सुनो साथियों !!
चलो साथियों ! चलो साथियों !!
रामलला श्री अयोध्या -धाम आए हैं
उन्होंने जन -जन को सहर्ष बुलाएं है ।
अयोध्या ही अयोध्या -धाम बना है
अब वह तीर्थ क्षेत्र कहलाता है
”श्रीराम” के जन्मभूमि पर मंदिर बना है
मंदिर बड़ा ही दिव्य और भव्य बना है ।
त्रेता युग में एक चक्रवर्ती राजा थे। वर्षों बाद उन्हें चार सूत प्राप्त हुए थे
कौशल्या -कक्ष में जो अवतरित हुए थे
गुरु वशिष्ठ उनका नाम “राम ” रखे थे ।
उनके मंदिर का पुन: नव -निर्माण हुआ है
प्राण – प्रतिष्ठा का सुंदर सुयोग बना है
“भए प्रकट कृपाला दीन दयाला ……”
तुलसीदास का यह भजन उन्हें सुनना है ।
वे नर नहीं, बल्कि नारायण थे
वे पुरुष नहीं, बल्कि पुरुषोत्तम थे
वे साधक थे, मर्यादा- युक्त मानव थे
१४ वर्ष वन में रहकर वे आए थे ।
सुनो साथियों, सुनो साथियों !!
अकल्पनीय सपने साकार हुए हैं
अपने प्रभु का दर्शन करने जाना है
दीपावली- सा दीप सजाने जाना है ।
उनका आशीष लेने जाना है।
उनकी कृपा लेने जाना है
बोलों बोलों “राम – लला की जय”
जय- घोष करने जाना है ।
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@रचना- घनश्याम पोद्दार
मुंगेर