Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2024 · 4 min read

रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व

रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व
_________________________
लेखक: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज) रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615 451

15) प्रेम खत्री*

पंडित रवि देव रामायणी के निधन से भजन-संगीत-कथा की जो त्रिवेणी अवरुद्ध हो गई थी, उसे प्रेम खत्री ने फिर से प्रवाहित किया।
आपके हाथ में बाजा (हारमोनियम) रहता है। सस्वर भजन कहते हैं। बीच-बीच में कथा-उपदेश का क्रम चलता रहता है। संक्षेप में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने की कला में आप पारंगत हैं ।
निर्मल विचारों का प्रेषण आपकी उपस्थिति से दिव्यता की सृष्टि करता है। भक्ति भाव से आयोजित भजनों के कार्यक्रम हों या फिर सुख-दुख के आयोजन; सब में आपकी उपस्थित केंद्रीय भूमिका के समान रहती है। जागरण आदि कार्यक्रमों में भी आपको सादर आमंत्रित किया जाता है। आपकी धार्मिक गतिविधियॉं शालीनता के साथ संचालित होती हैं। उसमें माइक तो रहता है, लेकिन शोर नहीं होता। कानफोड़ू कार्यक्रम से हटकर बाजे पर तबले के साथ संगत आपकी विशेषता है।

भजनों के भंडार आपके पास हैं। बड़े कार्यक्रमों में एक टीम रहती है। एक या दो संगत देने वाले तो सभी कार्यक्रमों में आपके साथ चलते हैं। मंच पर आपकी अकेली उपस्थित धार्मिक कार्यक्रम की सफलता की गारंटी है। आप जन्म, कर्म, विचार और परिवेश- हर दृष्टि से रामपुर की विभूति हैं। आपकी बोली में पंजाबी पुट है। संस्कृत के श्लोकों को सुंदर ढंग से सुनाते हैं। विषय के अनुरूप अपनी बात रखने की पर्याप्त सामग्री आपकी गहन अध्ययनशीलता को दर्शाती है।

16) संतोष कपूर

2007 में न तो रामपुर ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ से परिचित था और न ही श्री श्री रविशंकर जी को कोई विशेष ख्याति रामपुर में प्राप्त थी। ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ का पहला ‘बेसिक कोर्स’ संतोष कपूर ने रामपुर में आयोजित करके यहॉं के वायुमंडल को श्री श्री रविशंकर और आर्ट ऑफ लिविंग के साथ ऐसा जोड़ा कि घर-घर में इसकी गूॅंज स्थापित हो गई।

शुरू में आर्ट ऑफ लिविंग के बेसिक कोर्स लक्ष्मी नारायण गुप्ता मेंथा वालों के रोशन बाग स्थित परिसर में हुए। बाद में सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, कोसी मार्ग पर आर्ट ऑफ लिविंग के सत्र चलने लगे। तत्कालीन प्रधानाचार्य जितेंद्र चौहान जी की व्यक्तिगत श्रद्धा भावना से कार्य को अनुकूल वातावरण मिला। 2007 के आसपास ही रामपुर की सड़कों पर भी एक अनुशासित जुलूस आर्ट ऑफ लिविंग का निकला। इसके एडवांस कोर्स रामपुर डिस्टिलरी (रेडिको खेतान) के परिसर स्थित वातानुकूलित कक्ष में आयोजित करवाने का श्रेय भी संतोष कपूर को ही जाता है।

हजारों की संख्या में आपने लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग से जोड़ा। कहीं बैठे होते थे और सामने से कोई परिचित गुजरता, तो उसे रोककर कहते थे- “आर्ट ऑफ़ लिविंग का कोर्स करो। जीवन बदल जाएगा।”
केवल समझाते ही नहीं थे, उससे पॉंच सौ रुपए लेकर, जो कि उस समय आर्ट ऑफ लिविंग का बेसिक कोर्स का शुल्क होता था, ही लेकर मानते थे। किसी को सत्कार्य की ओर मोड़ने की कला तो कोई संतोष कपूर से सीखे। ‘जब जागो तभी सवेरा’ इस उक्ति को चरितार्थ करते हुए अपने सहस्त्रों व्यक्तियों को आर्ट ऑफ लिविंग से जोड़ दिया।

बंगलौर स्थित श्री श्री रविशंकर जी के आश्रम से आपका परिचय इतना गहरा हुआ कि आप श्री श्री के अत्यंत निकट व्यक्तियों में गिने जाने लगे। यह सौभाग्य सबको नहीं मिलता।

भगवती बाजार, मिस्टन गंज के पीछे आपका निवास है। अपने निवास के निकट आपने दुर्गा जी का मंदिर अत्यंत भव्यता से निर्मित किया है। यह अत्यधिक सक्रिय धार्मिक चेतना का केंद्र है। भजनों के कार्यक्रम यहॉं होते रहते हैं। इन सब के पीछे आपकी माता जी का आशीर्वाद और प्रेरणा मुख्य कही जा सकती है। अपने घर पर भी आखिरी मंजिल पर सत्संग-भजन के कार्यक्रम अनेक बार आपने किये । सिविल लाइंस राहे रजा (जौहर मार्ग) पर आपका व्यावसायिक प्रतिष्ठान रॉयल बजाज है। उसी के भीतर अंतिम छोर पर आपने एक वृहद कक्ष मेडिटेशन-भजन के लिए समर्पित किया हुआ है। यहॉं भी कार्यक्रमों की धूम रहती है।
आपकी आध्यात्मिक यात्रा के सहयोगियों में मीनाक्षी गुप्ता और उनके पति शलभ गुप्ता का नाम विशेष रूप से लिया जा सकता है।

17) वीरेंद्र गर्ग

वीरेंद्र गर्ग कोसी मार्ग स्थित श्री सनातन रामलीला समिति के कई वर्षों से महामंत्री हैं । स्वर्गीय शिव हरि गर्ग ने आपको अपना उत्तराधिकारी बनाया और इस उत्तरदायित्व को आपने बखूबी निभाया।

दुबला-पतला शरीर, औसत कद, सॉंवला रंग, देखने में साधारण; परन्तु दायित्व को असाधारण क्षमता के साथ आप निभा रहे हैं । सदैव मुस्कुराते रहने और सबको साथ लेकर चलने की कला में आप पारंगत हैं।
रामलीला कमेटी द्वारा रियासत काल से रामलीला का आयोजन हो रहा है। रामलीला आयोजित करना कोई हॅंसी-खेल नहीं है। पूरी टीम को साधना पड़ता है। हजारों की संख्या में दर्शकों को व्यवस्थित करना एक टेढ़ी खीर होती है। समन्वयात्मकता से ही यह सब संभव है। इसके लिए परस्पर प्रेम और आदर-भावना जब तक नहीं होगी, कार्य में सिद्धि नहीं मिल पाएगी। वीरेंद्र गर्ग अगर रामलीला सभागार में बैठकर रामलीला देख भी रहे हैं तो उनका बैठना आधा-बैठने के बराबर है। कारण यह है कि कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, कब-कहॉं किस जगह किस प्रकार की कमी है; सब पर आपकी नजर रहती है। कहना चाहिए कि एक क्षण भी आपको विश्राम नहीं मिलता ।

रामलीला का आयोजन बड़ा आदर्श है। उसे व्यावहारिक बुद्धि लगाकर ही आप सफल हो सके हैं। वर्ष के बाकी ग्यारह महीने में जब रामलीला नहीं होती, तब रामलीला सभागार का उपयोग ‘उत्सव पैलेस’ के रूप में आप करते हैं। इसमें भी काफी समय लगाना पड़ता है। उन दिनों रामलीला सभागार ‘उत्सव पैलेस’ के रूप में व्यक्तिगत, सामाजिक, धार्मिक तथा शादी-विवाह के लिए काम में आती है। समूचे रामपुर शहर में इससे ज्यादा बड़ा हॉल दूसरा नहीं है। आप अवैतनिक रूप से रामलीला कमेटी के महामंत्री के नाते कार्य करते हुए समाज की बड़ी भारी सेवा कर रहे हैं ।

17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
कितना कुछ बाकी था
कितना कुछ बाकी था
Chitra Bisht
बनाकर रास्ता दुनिया से जाने को क्या है
बनाकर रास्ता दुनिया से जाने को क्या है
कवि दीपक बवेजा
अपने-अपने संस्कार
अपने-अपने संस्कार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विजयदशमी
विजयदशमी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जो दूसरे को इज्जत देते हैं असल में वो इज्जतदार होते हैं, क्य
जो दूसरे को इज्जत देते हैं असल में वो इज्जतदार होते हैं, क्य
Ranjeet kumar patre
रतन टाटा जी की बात थी खास
रतन टाटा जी की बात थी खास
Buddha Prakash
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
जय श्रीराम हो-जय श्रीराम हो।
manjula chauhan
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Ritu Asooja
"स्वभाव"
Dr. Kishan tandon kranti
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
Piyush Goel
चुनाव
चुनाव
Lakhan Yadav
57...Mut  qaarib musamman mahzuuf
57...Mut qaarib musamman mahzuuf
sushil yadav
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भारत माँ के वीर सपूत
भारत माँ के वीर सपूत
Kanchan Khanna
33 लयात्मक हाइकु
33 लयात्मक हाइकु
कवि रमेशराज
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
मैं भागीरथ हो जाऊ ,
Kailash singh
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
gurudeenverma198
3961.💐 *पूर्णिका* 💐
3961.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
पोता-पोती बेटे-बहुएँ,आते हैं तो उत्सव है (हिंदी गजल/गीतिका)
पोता-पोती बेटे-बहुएँ,आते हैं तो उत्सव है (हिंदी गजल/गीतिका)
Ravi Prakash
ये कैसा घर है ....
ये कैसा घर है ....
sushil sarna
उस्ताद नहीं होता
उस्ताद नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
छठ व्रत की शुभकामनाएँ।
छठ व्रत की शुभकामनाएँ।
Anil Mishra Prahari
खूब ठहाके लगा के बन्दे
खूब ठहाके लगा के बन्दे
Akash Yadav
मेरा जीने का तरीका
मेरा जीने का तरीका
पूर्वार्थ
😊मुक्तक😊
😊मुक्तक😊
*प्रणय प्रभात*
कविता : याद
कविता : याद
Rajesh Kumar Arjun
सोने की चिड़िया
सोने की चिड़िया
Bodhisatva kastooriya
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है
फिर से जीने की एक उम्मीद जगी है "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...