“रामनवमी पर्व 2023”
महिमा उनकी धन्य है, धन्य उनन कै काज,
सुनत सबन की रामजी, काल्हि कोउ, कोउ आज।
उनहीं की माया सबहिं, सिगरे रीति-रिवाज,
मारग सबकै भिन्न हैं, बिखरे लगत समाज।
उन बिन ना पत्ता हिलै, ना कोउ क्रिया कलाप,
किन्तु जानकी हरण पै, मनु सम कीन्हि विलाप।
रामजनम नवमी अमर, सब जग कै सरताज,
विनय करत कर जोरि हौँ, रखियो हमरी लाज।
बल, विवेक, वर देहु मोहि, करहु कृपा रघुनाथ,
अधमाई, बिसराहु अब, बरनत “आशादास”।