“रामनवमी की सच्ची पूजा”
नृप दशरथ गृह पुष्प सम , जन्मे थे श्री राम।
रावण का संहार कर , सत्य किया अभिराम।।
असत्य नहीं सत्य ही , मन आभूषण नेक।
सीख यही देता सदा , रामचन्द्र अभिषेक।।
राम नाम तो पुष्प है , जपिएगा दिन रात।
जीवन सुरभित ये करे , दु:ख से मिले निजात।।
राम रूप आदर्श है , देता हर संस्कार।
रिश्ते नाते ज्ञान का , भरता मन भंडार।।
पूजा होती प्रेरणा , समझे हर नर नार।
सच्चे जीवन का यही , होता है आधार।।
नवमी पूजा कीजिए , सीख राम उद्गार।
मात पिता की साधना , रिश्तों का सत्कार।।
प्रीतम जीवन राम का , स्वच्छ नील आकाश।
सूर्य – चंद्र तारे सभी , चमकें लिए प्रकाश।।
?आर.एस.प्रीतम?