रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मीबाई
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लक्ष्मी बाई थी वीर बालिका,भारत को
आजाद कराया था।
चिंगारी जला सबके मन में, भारत को
आजाद करने का ठाना था।।
अंग्रेजों के अत्याचार लिए, आवाज उठाई थी।
हर मानव में साहस और , अंग्रेजों को
भगाने की कसम खाई थी।।
नाना की मुंह बोली बहन छबीली थी।
लक्ष्मी बाई मात, पिता की संतान अकेली थी।।
पढ़ती थी संग नाना के,नाना के संग खेली थी।
बरछी,ढाल,कृपाण, कटारी सब उनकी
सहेली थी।।
बचपन से था शौक, घुड़सवारी करने का।
दुर्गा थी, अवतार थी वो, शौक था तलवारों का ।।
महाराष्ट्रा-कुल देवी उसकी, आराध्या
भवानी थी।
करती थी देवी का सुमिरन,और उनकी दीवानी थी।।
ब्याह हुआ लक्ष्मी बाई रानी बन आई
झांसी में।
बधाई बाजी और खुशियां छाई महलों में।।
पति गंगा धर राव और पुत्र दामोदर निधन व्यथा बताई है।
बुझा दीप झांसी का जब, रानी के अद्भुत पराक्रम ने लाज बचाई है।।
भारत के इतिहास गगन में, सदा रहेगा इनका नाम।
लक्ष्मी बाई आजाद करा गई,अमर रहेगा उनका काम।।
वीर बालिका लक्ष्मी बाई की
जंयती पर कोटि -कोटि सहस्त्रों नमन वंदन और अभिनंदन।
सुषमा सिंह*उर्मि,,