रानी मर्दानी
तुम रानी मर्दानी ही नहीं सुलगती एक चिंगारी हो
तुम केवल इतिहास नहीं, भूगोल की बम बारी हो
समझ सके जो राष्ट्र प्रेम क्या,वो शब्दों को भी समझेंगे
कहा हैं क्या बिना कहे भी, मर्म कथन का समझेंगे
तुम केवल मूर्ति नहीं , जीती जागती एक नारी हो
तुम शक्ति स्वरूपा चामुंडा बन अंग्रेजो पर गरजी थी
आजादी की रण भेरी पर, बन अध्याय एक बरसी थीं
तुम आदर्श नहीं सभी का फिर भी सब पर भारी हो
रोटी और कमल से तुमने संदेश जो भिजवाए
आज तलक नहीं कभी किसी की समझ आए
अपनों से गद्दारी सहकर भी नहीं कभी हारी हो
कुछ लालची सरदार हुए और राजपरिवार हुए
लेकिन जो बिके नहीं , वही सिपहसलार हुए
पवन वेग से सजे अश्व पर दिखी तुम्ही मतवारी हो
आओ आज फिर से तुम्हारी गाथा का हम गान करें
जागे सोई मातृ चेतना भी ऐसा कोई हम काम करें
दिखती फैशन को अंधी दौड़ में एक तुम्हारी सारी हो