राधे-श्यामी छन्द
राधे-श्यामी छन्द/ मत्त सवैया छंद
उनकी पायल की मधु रुनझुन, शाम-सहर पास बुलाती है l
वो सपनो में आ कर मेरे, आंखों की नींद चुराती है ll
तितली सी वो इठलाती है ,चन्द्रवदन पे इतराती है l
रेशमी जुल्फ झटकती हुई ,वो मंद-मंद मुस्काती है ll 1
जर्जर सा जीवन सँवर गया, तेरे गाँव चले आने से l
अब रूठ कभी ना जाना तुम, तेरे आशिक दीवाने से ll
तेरी चाहत की खुश्बू से, महका-महका दिल अमराई l
सारी उम्र साथ चलना तुम ,बन जाना मेरी परछाई ll 2
जो आज हमें परी मिली है ,वह प्रभु सब तेरी माया है l
लब हाला है रूप सलोना ,मन कुन्दन कंचन काया है ll
है मनुहार अदा सादापन,कोयल सी है उसकी बानी l
ये फूल कली भी शरमाए, ऐसी मधु सी नब्य जवानी ll 3
✍दुष्यंत कुमार पटेल