राधा कृष्ण
राधा रानी नेह का , अतुलित हैं आगार ।
सपने प्रभु के साथ में , देख रहीं हर बार ।।
देख रहीं हर बार ,अजब है प्रभु की माया ।
केवल राधा छोड़ , सभी ने उनको पाया ।।
लेकिन अविरल प्यार,कहाँ माने सब बाधा।
सदा श्याम के साथ , याद होतीं अब राधा ।।
डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव अर्णव