राधाकृष्ण
राधे कृष्ण प्रेम से , होता जीवन पार
डूबे भगवद भक्ति में , पाता जीवन सार
राधे कृष्ण एक है , नहीं दोउ में भेद
मिले भक्त को भक्ति से , रहें नही तब खेद
गोपी डूबी प्रेम में , तन मन देती वार
ऐसी अनुपम रीति है , दिल को जाती हार
चोरी करते कान्हा , गोपन कपड़े रोज
हाथ जोड़ने लगी सब , रहे साथ में फौज
चखे प्रेम रस प्रभो का , मिले प्रभो का धाम
प्रभो चरण में वास हो , छोड़ सदा को चाम