रात
सुबह के दरवाज़े से कई बार
रात को गुज़रते देखा है मैंने
ये रात कुछ ज़्यादा काली है
रोशनियों को निगल
दरवाज़े पर पैर जमाये बैठी है
ज़िंदगी की छटपटाहट में
रोशनियाँ कब क़ैद रही हैं
इस रात की सुबह होने को है
बस थोड़ी देर ओर जाना
ये दरवाज़ा खुलने को है !!!
@संदीप