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20 May 2023 · 1 min read

मुसलसल

दर्द पाला है सीने में इस कदर मेहरबां
बुझते इश्क़ में यारा जलते रहे आज तक

न जाने कहां कब जुदा हो ग‌ई राहदारी
उसी राह मुसलसल चलते रहे आज तक

रोशनी की खातिर जला बैठे दिल को
वहीं लौ में जानिब पिघलते रहे आज तक

सुबहो शाम तसव्वुर इक तेरा रहा है
ख्यालों में जुगनूं मचलते रहे आज तक

यकीं हो के ना यकीं हो तुम्हे
लम्हा लम्हा तेरे नाम करते रहे आज तक

मुस्कुराते भी है हंस भी लेते हैं हम
तेरे बगैर यारा पल पल मरते रहे आज तक

नम्रता सरन “सोना”

3 Likes · 2 Comments · 279 Views
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