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3 Dec 2018 · 1 min read

रात भर

पास बुलाए दूर जाती रही रात भर
हमको पागल बनाती रही रात भर

सारे अरमान चूर चूर होते देख
जिदंगी गुनगुनाती रही रात भर

चाह नई-नई रखी थी उडने की हमने
हौसलो को वो जलाती रही रात भर

मेरी उलझन वो जाने फिर भी मगर
हंस हंस कर सताती रही रात भर

उसके प्यार की तपिश क्या बताऊ
याद उसकी रह रह आती रही रात भर

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