रात भर
पास बुलाए दूर जाती रही रात भर
हमको पागल बनाती रही रात भर
सारे अरमान चूर चूर होते देख
जिदंगी गुनगुनाती रही रात भर
चाह नई-नई रखी थी उडने की हमने
हौसलो को वो जलाती रही रात भर
मेरी उलझन वो जाने फिर भी मगर
हंस हंस कर सताती रही रात भर
उसके प्यार की तपिश क्या बताऊ
याद उसकी रह रह आती रही रात भर