रात के 2:55
रात के 2:55 हो रहे हैं
पर नींद कहां मुझे आती है
पहली बार वो झलक
अॉंखो से न जाती है
बार-बार तस्वीर तुम्हारी
दिल में उतारा करते हैं
पिछले कुछ हफ्तों से हम
एैसे ही गुजारा करते हैं
तुमको क्या है खबर हमारी
तुम तो घर में सोए हो
ले जाकर ख्वाब हमारे
मीठे सपनों में खोए हो
बस इतनी सी हसरत मेरी
समझो दिल की बात को
बहुत दु:खी हूं बहुत थका हूं
बहुत जगा हूं रात को
घडींयो की सुईयों से पूछो
रात ये कैसी गुजरी है
वो तुमको समझा देंगी
मेरे दिल के ज्जबात को
हर मिनट तुम्हारा नाम लिया
पल-पल मे तुमको चाहा है
घन्टे भर से बैठा हूं
काटूं कैसे इस रात को
(Kavi lakshya)