रात की आगोश में
ख्वाब तेरे देखा करते है,रात की आगोश में।
जब में बसे हो दिल में,दिल रहा न होश में।
चाहे हर पल ये मन, हमेशा साथ हो तेरा मेरा
बैठे रहे हम हाथ थामे,एक दूजे की आगोश में।
बेवफा निकले घर सनम, किससे करें हम गिला
ज़ला करता है दिल में,सदा यूं हीआक्रोश में।
इश्क़ होना हो तो तब ,हो कर ही रहता है
ये दिल कभी न उलझे,किसी के गुण दोष में।।
जान जिनकी जाये,याद करते हुवे जान को
जन्नत हो नसीब,रूह जाती है फ़िरदौस में।
सुरिंदर कौर